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2,31622/रजब/1444 , 13/फ़रवरी/2023

छोटी लड़की के बिना दुपट्टे के नमाज़ पढ़ने का हुक्म

प्रश्न: 103431

छोटी लड़की के बिना दुपट्टे के नमाज़ पढ़ने का क्या हुक्म हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा एवं गुणगान केवल अल्लाह के लिए योग्य है, तथा दुरूद व सलाम की वर्षा हो अल्लाह के रसूल पर। इसके बाद :

“यदि वह अभी तक युवावस्था तक नहीं पहुँची है, तो उसकी नमाज़ सही (मान्य) है, क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया : “अल्लाह किसी मासिक धर्म वाली महिला की नमाज़ बिना दुपट्टे के स्वीकार नहीं करता।” इससे यह इंगित हुआ कि गैर-मासिक धर्म वाली महिला अर्थात् जो युवावस्था तक नहीं पहुँची है, उसके बिना दुपट्टा के नमाज़ पढ़ने में कोई हर्ज नहीं है। लेकिन अगर वह सात साल या उससे अधिक की है, तो उसके लिए दुपट्टे के साथ नमाज़ पढ़ना बेहतर और अधिक पूर्ण है। लेकिन जो सात साल से कम हैं, चाहे वे पुरुष हों या महिला, तो वे नमाज़ के योग्य लोगों में से नहीं हैं ; क्योंकि नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया है : “अपने बच्चों को नमाज़ पढ़ने का आदेश दो जब वे सात साल के हों, और अगर वे दस साल के हो जाएँ और नमाज़ न पढें, तो उन्हें मारो, तथा उनके बिस्तरों को अलग-अलग कर दो।” उद्धरण समाप्त हुआ।

“मजमूओ फतावा शैख़ इब्न बाज़” (29/200)

स्रोत

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